प्यास से व्याकुल नयन हैं इस भरी बरसात में

By Arun Kumar

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प्यास से व्याकुल नयन हैं इस भरी बरसात में

लग गया है चित्त मेरा चोरनी के हाथ में।।

माँग करके दिल हमारा देखिए तो इक दफा।

थाल में रख कर तुम्हें मैं सौंप दूँ सौगात में।।

जाँ बचानी है अगर बाजी लगा दो जान की।

कुछ नहीं मिलता किसी को भी यहाँ खैरात में।।

कल तलक तो पूछने वाला न हमको था कुई।

कौन शामिल है हमारी आखिरी बारात में।।

घाव दे जाते हैं गहरे बाण अक्सर शब्द के।

खार घुल जाता है सदियों के लिए जज्बात में।।

साथ अच्छा है तुम्हारा इन उजालों में मगर।

छोड़ मत देना मेरा दामन अंधेरी रात में।।

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Arun Kumar

MA, B.Ed & MSW

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