आतंकवाद की परिभाषा क्या है? आतंकवाद से समाज में होने वाली समस्या

By Arun Kumar

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आतंकवाद (TERRORISM) – भारत विभिन्नता युक्त देश है। इसमें अनेक धमों, सम्प्रदायों, जातियों, प्रजातियों, भाषाओं एवं संस्कृतियों से सम्बन्धित लोग निवास करते हैं। सदियों से इन विभिन्त्रताओं को लिए हाए लोग यहां रह रहे हैं तथा। में भी एकता का प्रदर्शन करते रहे हैं। संकट की घड़ियों में सारे मतभेद मुनाकर सभी ने है तथा विभिन्नता श्रेया है, किन्तु पिछले कुछ वर्षों में स्थितियां बदल गई है और लोगों में धर्म, भाषा, प्राना रूदूसरे का साथ दिया पर परस्पर तनाव, वैमनस्य और संघर्ष हुए हैं।

एक धर्म, भाषा और प्रान्त के लोग, दूसरे, खटाव के और प्रान्त के लोगों के खून के प्यासे हो गए हैं तथा अपनी मांगों को मनवाने के लिए वे तोडफोडा माया आगजनी, बलात्कार, हत्या और अपहरण का सहारा लेने लगे हैं। अपने तुच्छ स्वायों की पूर्ति के लिए देश की एकता और अखण्डता को नष्ट कर अपने लिए पृथक राज्य बनाने की बात करने लगे हैं और अपनी बागों को मनवाने के लिए आतंक का सहारा लेने लगे हैं। दवाव, हत्या और भय के द्वारा अपनी मांगों को मनवाना ही आतंकवाद है।आतंकवाद आज एक विश्वव्यापी समस्या बन गया है। इस विश्वव्यापी खतरे के प्रति सभी देश चिन्नित दिखाई देते हैं और आज कोई भी देश ऐसा नहीं जहां आतंकवाद न पनप रहा हो।

अमरीका आतंकवाद का लक्ष्य भी है और शरणस्थली भी। आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अमरीका में आधुनातन संवन्त्र एवं साधन विकसित किए गए है फिर भी आतंकवाद से मुक्ति नहीं मिल पाई है।आतंकवाद प्रतिपल हमारे लिए संकट का वाहक और हमारे प्राणों का ग्राहक बना रहता है। न मालूम कब, कहां और किस पर उसकी गाज गिरे? आतंकवाद आज परमाणु बम से भी अधिक भयावह बन गया है।

आतंकवाद के आतंक ने हमारे नैतिक पक्ष को इतना दुर्वल बना दिया है कि आज हम आतंकवादी घटनाओं एवं आतंकवादियों के बारे में सीधी एवं खरी बात कहते हुए डरते हैं क्योंकि आतंकवाद का फंदा हर समय हमारे सामने झूलता रहता है। हमारे नैतिक पक्ष का क्षय रोग-ग्रस्त हो जाना हमारे भविष्य के लिए खतरे की निशानी है। आतंकवाद समाज का अभिशाप है, कलंक है। आतंकवादी गतिविधियों को देखकर यह प्रश्न उठता है कि क्या सभ्यता के उच्चस्तरीय विकास का दावा करने वाला मानव अपने पाशविक स्तर से ऊपर उठा है कि नहीं और क्या सभ्यता के विकास के लिए किए गए एमस्त प्राल सार्थक हैं। आतंकादने आज जनजीवन को कठिन बना दिया है और सम्पूर्ण वातावरण को संत्रास संकुल कर दिया है। प्रस्तुत अध्याय में हम आतंकवाद का अर्थ, कारण, उपचार एवं भारत में आतंकवादी गतिविधियों का उल्लेख करेंगे।

आतंकवाद क्या है – WHAT IS TERRORISM

कुछ वर्षों पहले आतंक रत्नान करना डाकुओं और लुटेरों की पहचान थी। यह वर्ग समाज द्वारा बहिष्कृत समझा जाता था, किन्तु वर्तमान सन्दर्भ में यह एक जीवन-दर्शन और मान्य आन्दोलन के रूप में ग्रहण किया जाने उगा है। ऐतिहासिक दृष्टि से आतंकवाद व्यापक असन्तोष, विद्रोह भावना वा अनुशासनप्ता की अभिव्यक्ति है, व्यावहारिक रूप में वह राजनीतिक स्वार्थपरता की सिद्धि के लिए अभोष अख बन गया है। राजनीतिक छल-कपट की मिट्टी में इसकी जड़े बहुत गहरे तक समाई हुई है तथा अर्थवादिता के पिशाच ने जल सिंधन द्वारा उसको पल्लवित किया है। हत्या, अपहरण, बलात्कार, लूट, आगजनी, रास्ता जाम, आदि उसके विभिन्न रूप है। अपनी बात मनवाने के लिए अथवा मनमानी करने के लिए आतंकवाद हमारी जीवन पद्धति का एक महत्वपूर्ण अंग बनता जा रहा है। उसके मूल में राजनीति प्रेरित धर्मान्यता है, जो वोट की राजनीति द्वारा निर्मित है।

बृहद् हिन्दी कोश’ में आतंकवाद को इस प्रकार परिभाषित किया गया है, “राज्य या विरोधी वर्ग को दवाने के लिए भयोत्पादक उपायों का अवलम्बन।”

एडवान्स लर्नर्स डिक्शनरी ऑफ करण्ट इंगलिश में आतंकवाद को इस प्रकार परिभाषित किया गया है,”राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हिंसा एवं भय का उपयोग करना आतंकवाद है।”

लॉगमैन मॉडर्न इंगलिश डिक्शनरी में आतंकवाद को परिभाषित करते हुए लिखा है, “शासन करने या राजनीतिक विरोध प्रकट करने के लिए भय की एक विधि के रूप में उपयोग करने की नीति को प्रेरित करना ही आतंकवाद है।

“उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि राजनीतिक विरोध प्रकट करने अथवा अपनी मांगों को मनवाने के लिए हिंसा एवं भय का प्रयोग करना ही आतंकवाद है।

उद्देश्य की दृष्टि से आतंकवाद को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है: सकारात्मक एवं नकारात्मक। सकारात्मक आतंकवाद वह है जिसके मूल में व्यापक हित साधन और समाज कल्याण रहता है। उदाहरण के लिए, विदेशी शासन से मुक्ति पाने के लिए अपनाया जाने वाला आतंकवाद इसी श्रेणी में आता है। इस प्रकार के आतंकवाद से केवल विदेशी शासक प्रभावित होते हैं और सामान्य जन एवं जीवन निरापद बने रहते हैं।

नकारात्मक आतंकवाद वह है जो व्यापक हितों की उपेक्षा करके किसी संकुचित स्वार्थ की सिद्धि के लिए अपनाया जाता है। अपनी मांगे मनवाने के लिए स्वार्थ विरोधी किसी निर्णय का विरोध करने के लिए, किसी व्यवस्था के प्रति अपना विरोध प्रकट करने के लिए, चुनाव जीतने आदि के उद्देश्यों को लेकर अपनाया जाने वाला आतंक सर्वथा समाज कल्याण विरोधी होता है और देश की अखण्डता एवं एकता के लिए खतरा वन जाता है। वर्तमान में पंजाब और कश्मीर में पनप रहा आतंकवाद इसी श्रेणी में आता है।

निष्कर्ष

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि राजनीतिक विरोध प्रकट करने अथवा अपनी मांगों को मनवाने के लिए हिंसा एवं भय का प्रयोग करना ही आतंकवाद है।

FAQ

Q. आतंकवाद की परिभाषा क्या है?

A. राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से डराने या सामान्य व्यापक भय पैदा करने के लिए यादृच्छिक नागरिक लक्ष्यों के खिलाफ हिंसा का उपयोग।

Q. आतंकवाद कब शुरू हुआ?

A. आतंकवाद’ शब्द की उत्पत्ति फ्राँसीसी क्रांति के दौरान उस समय हुई थी, जब वर्ष 1793-94 के दौरान वहाँ आतंक का राज स्थापित हुआ था। लेकिन मूल रूप से इसका आरंभ विश्व भर में 1950 के दशक में हुए वामपंथ के उत्थान के बाद से देखा जा सकता है।

Q. आतंकवाद कितने प्रकार के होते हैं?

A. आतंकवाद के दो प्रकार हैं: घरेलू , जिसमें उन लोगों द्वारा किए गए आतंकवादी कार्य शामिल हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित हैं और वहाँ से काम करते हैं, और अंतर्राष्ट्रीय , जो एक प्रकार का आतंकवाद है जिसमें विदेशी देशों से जुड़े व्यक्तियों द्वारा किए गए आतंकवादी कार्य शामिल हैं।

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