Desk News: पटियाला में नाभा व की नई जिला जेल में नए सोच के साथ बंदियों के पुनर्वास पर भी ध्यान दिया जा रहा है। उद्देश्य यही है कि बंदी जेल से बाहर आने पर समाज में सामान्य जीवन जी सके। उसे स्वयं में सुधार करने का पूरा अवसर मिले।
26 एकड़ में फैली जेल में वर्तमान में लगभग 1,200 कैदी हैं। उनके कौशल को निखारने के लिए जेल परिसर में साबुन की फैक्ट्री संचालित की जा रही है। यहां कैदी प्रतिदिन लगभग 200 किलोग्राम कपड़े धोने का साबुन तैयार करते हैं। उत्पाद केंद्रीय जेल पटियाला, ओपन जेल नाभा के अतिरिक्त प्रदेश की अन्य सभी जेलों में भी सप्लाई किया जाता है।
बाजार में लाने की तैयारी
जेल अधीक्षक इंद्रजीत काहलों बताते हैं कि कैदियों को आइटीआइ के विशेषज्ञों और मशीन स्थापित करने वाली कंपनी ने शुरुआत में प्रशिक्षण दिया था। अब कुशल कैदी अपने साथियों को प्रशिक्षण देकर उन्हें तैयार कर रहे हैं। जेल प्रशासन उत्पादन क्षमता बढ़ाने के बाद साबुन को ब्रांड के रूप में बाजार में उतारने की तैयारी में है। साबुन तैयार करने वाले ये कारीगर कैदी जेल से बाहर आने के बाद इस हुनर को अपने व्यवसाय के तौर पर भी अपना सकते हैं।
जल्द शुरू होगा पेट्रोल पंप
इंद्रजीत काहलों बताते हैं कि नई जिला जेल में जल्द पेट्रोल पंप शुरू करने की तैयारी है। बंदियों को पेट्रोल पंप पर काम पर लगाया जाएगा। नाभा में ओपन जेल भी है, जिसमें 80 कैदी हैं। यह जेल 70 एकड़ में फैली है। जेल के अंदर कैदी गेहूं व धान की खेती के अतिरिक्त सब्जियां भी उगाते हैं। भोजन में प्रयोग के बाद जो बच जाता है, उसे अन्य जेलों में सप्लाई कर दिया जाता है। यहां कैदियों को खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि जेल से छूटने के बाद वे इसे आय के साधन के रूप में उपयोग कर सकें।
इंद्रजीत काहलों बताते हैं कि नई जिला जेल में जल्द पेट्रोल पंप शुरू करने की तैयारी है। बंदियों को पेट्रोल पंप पर काम पर लगाया जाएगा। नाभा में ओपन जेल भी है, जिसमें 80 कैदी हैं। यह जेल 70 एकड़ में फैली है। जेल के अंदर कैदी गेहूं व धान की खेती के अतिरिक्त सब्जियां भी उगाते हैं। भोजन में प्रयोग के बाद जो बच जाता है, उसे अन्य जेलों में सप्लाई कर दिया जाता है। यहां कैदियों को खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि जेल से छूटने के बाद वे इसे आय के साधन के रूप में उपयोग कर सकें।