बस्ती। जिले के छावनी थाने की अमोढा चौकी ऐसी है, जो बंद रहती है, ऐसे में पुलिस चौकी स्थापित करने का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। अमोढा कस्बे के साथ ही इससे जुड़े गांवों के लोग भी इस चौकी के बंद होने का राज समझ नहीं पा रहे हैं। उनका कहना है कि जब इसे बंद ही रखना था तो इतना तामझाम कर इसे बनाया ही क्यों गया, सरकारी धन की बरवादी क्यों की गई।छावनी थाना क्षेत्र के अमोढ़ा कस्बे में मार्च 2023 में पुलिस चौकी अमोढ़ा की स्थापना हुई।
आइजी रामकृष्ण भारद्वाज व पुलिस अधीक्षक गोपाल कृष्ण चौधरी ने उसका लोकार्पण किया तो कस्बावासियों सहित दो दर्जन गांवों के लोगों में सुरक्षा का भाव जगा। उन्हें लगा कि अब पुलिस उनकी सुरक्षा के लिए मौजूद रहेगी। मदद के लिए अब थाने पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, मगर ऐसा नहीं हो पाया। पुलिस चौकी अमोढा में हमेशा ताला लगा रहता है। यह अलग बात है कि अभिलेखों में चौकी इंचार्ज अमोढ़ा के पद पर हरि राय व व दो पुलिस कर्मी तैनात हैं। इस पुलिस चौकी की हालत यह है।
कि चौकी इंचार्ज तो दूर, यहां कोई होमगार्ड भी मौजूद नहीं रहता है। रामजानकी मार्ग पर अति संवेदनशील कस्बा अमोढ़ा सहित दो दर्जन गांवों के लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस पुलिस चौकी पर है। अमोढ़ा कस्बे मेंहत्या, चोरी व धार्मिक उन्माद फैलाने जैसी घटनाएं विगत वर्षों में हो चुकी हैं। वर्ष 2020 में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दिन अमोढ़ा कस्बे में दो समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे। मारपीट, आगजनी जैसी घटना हुई थी।
मामला शासन स्तर तक पहुंचनेपर जनपद के आला अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए थे। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, थानाध्यक्ष छावनी व बीट प्रभारी पर कार्रवाई कर उनको पद से हटा दिया गया था। यह कस्वा चार दिन तक पुलिस छावनी में तब्दील रहा। इन्हीं घटनाओं को देखते हुए यहां पर पुलिस चौकी की स्थापना की गई, मगर पुलिस यहां की संवेदनशीलता को संवेदनहीन बनी हुई है।
कस्बा निवासी दीपक, गोविंद तिवारी, पतिराम यादव, रामजनक यादव, वृज बिहारी वर्मा सहित आदि का कहना है कि उनको अपनी समस्या के निदान के लिए प्रार्थना पत्र लेकर अभी भी थाने पर जाना पड़ता है। यहां पुलिस चौकी तो बन गई, मगर इसके न खुलने से यह शोपीस साबित हो रही है। अपर पुलिस अधीक्षक ओमप्रकाश सिंह बताया कि यह स्थायी पुलिस चौकी नहीं हैं। यहां आवश्यकता पड़ने पर ड्यूटी लगाई जाती है।