पिछले दो वर्षों से ज्यादा दर्ज हुआ ध्वनि प्रदूषण

By Arun Kumar

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आगराः दीपावली पर बम पटाखों की गूंज से कान गुम हो गए। कुछ लोगों के कान में सांय-सांय की आवाज (टिनिटस) की समस्या होने लगी। हृदय रोगियों और बुजुर्गों को परेशानी हुई। कालोनियों में 15 से 20 मिनट तक लगातार तेज आवाज के साथ बम पटाखे चलते रहे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा रिहायशी इलाके में कराए गए अध्ययन में दीपावली पर ध्वनि प्रदूषण पिछले दो वर्षों से ज्यादा दर्ज किया गया।

दीपावली से पहलेदीपावली वाले दिन
202461.0178.86
202351.8570.82
202254.2671.05
एचआर एस्टेट में ध्वनि प्रदूषण (डेसिबल में)

दीपावली पर गुरुवार को रात आठ बजे के बाद बम पटाखों की आवाज सुनाई देने लगी। एक साथ कई बम पटाखे चलाने हुई तेज आवाज से कान गुम हो गए, कुछ देर के लिए सुनाई देना बंद हो गया। इस तरह की समस्या बम पटाखे चलाने वालों को हुई। वहीं, 100 डेसिबल की आवाज के बम पटाखे चलाने पर लोगों के कान में सांय-सांय की आवाज आने लगी। हालांकि, यह समस्या कुछ देर बाद ठीक भी हो गई। मगर, ज्यादा देर तक बम पटाखे चलने से हृदय रोगियों को परेशानी होने लगी। पसीना आने के बाद बेचैनी और घबराहट की समस्या हुई। इन मरीजों को बम पटाखे चलने पर कान में रुई लगानी पड़ी। सीपीसीबी ने एचआर एस्टेट, बोदला-बिचपुरी रोड पर दीपावली से पहले और दीपावली पर ध्वनि प्रदूषण का अध्ययन किया। पिछले तीन वर्ष में इस बार ध्वनि प्रदूषण सबसे ज्यादा 78.86 डेसिबल दर्ज किया गया।

जबकि दिन में ध्वनि का सामान्य स्तर रिहायशी क्षेत्र में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल होना चाहिए। एसएन मेडिकल कालेज के ईएनटी विभाग के डा. अखिल प्रताप सिंह ने बताया कि दीपावली के एक दो दिन बाद कान में समस्या के साथ मरीज आते हैं। 100 डेसिबल की आवाज पांच मिनट से ज्यादा देर तक सुनने से कान का पर्दा फट सकता है। अधिकांश बम पटाखों की अधिकतम आवाज 100 डेसिबल के आसपास होती है। ईएनटी की ओपीडी में 53 मरीज आए। इन्हें कान संबंधी अन्य समस्याएं थीं।

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Arun Kumar

MA, B.Ed & MSW

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