इंटरनेट मीडिया का प्रभाव आज के युवाओं पर

By Arun Kumar

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अमृता सिंह

पंखुरी का ध्यान इन दिनों अपनी पढ़ाई से हट गया है। वह स्कूल से जल्दी घर आ जाती है और आते ही अपना नया काम शुरू कर देती है। उसके कमरे से लगी उसकी बड़ी खुली-सी छत है, जहां हरी-हरी घास लगी है और रंग-बिरंगे फूल खिले हैं। उसे अपनी यह फुलवारी बहुत पसंद है। यहां फूलों के बीच बैठकर, घूमकर, खड़ी होकर उसने रील बनाना शुरू कर दिया है।

लोकेशन भी सुंदर मिल गई है। इसी जगह पर तरह-तरह के स्वांग रचकर वह खूब रोल बनाने लगी है। कभी कामेडी तो कभी डांस तो कभी अपने डिजाइनर कपड़े पहनकर तो कभी दादी बनकर, उसे यह समझ में नहीं आ रहा है कि कोई एक तर्रा पकड़े या अलग- अलग रील बनाती रहे। किसी से पूछ भी नहीं पा रही। मम्मी अपने काम में व्यस्त रहती हैं। यही मम्मी हैं, जिन्होंने कुछ दिन पहले उसे सुनाया था, ‘यह देखो, कितनी छोटी लड़की है, तुमसे बहुत छोटी ही होगी, कितनी टैलेंटेड है। इसके रील्स देखो, इसके लाखों में फालोवर बन गए हैं। बहुत कमाई कर रही है। यह कम उम्र में इनफ्लूएंसर बन गई है।’

मम्मी की बातों से पंखुरी को लगा कि वह उस लड़की से उसकी तुलना कर रही हैं और उस पर अप्रत्यक्ष रूप से वैसा ही बनने का दबाव भी बना रही हैं। मम्मी उसे किसी लायक नहीं मान रहीं। एक बार पहले भी उन्होंने कहा था, ‘तुम्हारी कोई एक्स्ट्रा एक्टिविटी नहीं है… स्कूल और घर। अपनी कुछ हाबी बनाओ और सीखो।’पंखुरी का मन कलाओं में नहीं लगता था। दरअसल, वह किताबी कीड़ा थी। मम्मी की बातें सुनकर उसने इंस्टाग्राम (Instagram) पर रील्स देखने शुरू कर दिए। कुछ को फालो भी किया। यह सच में दंग रह गई, जब उसकी उम्र की लड़‌कियां-लड़के बेहद लोकप्रिय होते दिखे। उसे लगा कि वह सच में नाकारा है। किताबों से बाहर निकलकर वह रोल्स में डूब गई। नौवीं में पढ़ने वाले उसके छोटे भाई आशीष ने समझा कि वह गेम खेल रही है, तो वह डर गया। ‘दीदी, आपको पता है। एक वीडियो गेम बहुत डेंजरस आया है… बहुत खतरनाक। मेरा फ्रेंड बता रहा था कि उसे खेलने से लाइफ रिस्क में पड़ जाती है। आप ऐसा तो कुछ नहीं करतीं? ऐसा कभी मत करना।’ अपने भाई को सहमा हुआ देखकर पंखुरीहंस पड़ी।

तू पागल है। मैं वीडियो गेम नहीं खेलती

‘तू पागल है। मैं वीडियो गेम नहीं खेलती, मैं तो बस रील बनाकर इनफ्लूएंसर बनना चाहती हूं।’ मम्मी देख रही हैं कि आजकल पंखुरी का मन किताओं से अधिक मोबाइल में लग रहा है। उन्होंने सोचा कि वह पंखुरी से बात करेंगी, लेकिन इसके पहले अगले ही दिन परेशान लड़‌की उनके सामने आकर खड़ी हो गई। ‘मम्मा, मेरे क्लासफेलो मनु ने मेरा वीडियो चुपके से बना लिया है और अब वह कह रहा है कि उसे प्रसारितकर देगा। मैं क्या करूं?”क्या कर रही थीं तुम ? कैसे बना लिया?’ मम्मा चीखने लगीं। ‘वो… दरअसल… मैं अपने लिए रील बना रही थी. थी, कैंपस में सबसे छुपकर कामेडी टाइप, उसने चुपके से उसे शूट कर लिया। अब वह धमका रहा है कि वह बिना एडिट किए उसे प्रसारित कर देगा। अगर ऐसा हुआ तो सब मेरामजाक उड़ाएंगे।’ मम्मी समझ गई कि पंखुरी इंटरनेट मीडिया के जाल में फंस गई है…।

किशोरों के लिए सलाह

किशोरों को विभिन्न मीडिया प्लेटफार्म के औचित्य को समझने का कौशल विकसित करना होगा। वे अपनी दिनचर्या मेंइंटरनेट मीडिया के उपयोग को सीमितव अनुशासित करें। इंटरनेट मीडिया के इनफ्लूएंसर्स को फालो करने से पहले उनकी योग्यता, सामाजिक साख और उद्देश्य को जरूर परखें। जानकारों से इस पर सलाह अवश्य लें। किशोरावस्था में अपने आदर्श की नकल करने की प्रवृत्ति होती है। किशोरों कोयह समझना होगा कि इनफ्लूस्सर्स के हाव-भाव की नकल करने से वे अपनी पहचान नहीं बना पाएंगे। अपनी आनलाइन छवि पर केंद्रित होने से वास्तविक दुनिया प्रभावित हो सकती है। इंटरनेट मीडिया के कारण किशोरों में नकारात्मक और तुलनात्मक प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य खराब हो सकता है।

माता-पिता के लिए परामर्श

अपने किशोरक्य के बच्चों के लिए नियमबनाकर उनके इंटरनेट मीडिया उपयोगकी सीमा निर्धारित करने में उनकी मदद करें। आप नींद, व्यायाम और अच्छा खान-पान जैसी अन्य महत्वपूर्ण चीजों के साथ आनलाइन बिताएगए उनके समयको संतुलित करने में भी उनकी मदद कर सकते हैं। दिन का वह समय निर्धारित कर दें, जब किशोर इंटरनेट मीडिया का उपयोग कर सकें। उनपर नजर रखें कि वे किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस बात की भी खबर रखें कि वे किन्हें फालो कर रहे हैं। अपने भी मीडिया उपभोग को भी अनुशासित करें। रश्मि पाण्डेय, विलनिकल साइ‌कोलाजिस्ट्स

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