ग़ज़ल – मनीष शर्मा
मुहब्बत सबसे करते हैं मगर सारा नहीं करते कि हम बेकार के वादों पे दिल हारा नहीं करते..
तरीके से हम अपने सारी जंगे जीत लेते हैं मगर कमज़ोर लोगों को कभी मारा नहीं करते…
पुराने लोग अच्छे थे मिरी दादी बताती हैं..निहत्थे लोगो पर वो वार दोबारा नहीं करते..
तुम्हीं ने दुश्मनी की नींव रक्खी थी हमारे दोस्त..
वगरना दोस्ती का जल कभी खारा नहीं करते…
चमक मौजूद है तुममें बिखेरो रोशनी अपनी..
अंधेरे से तो जुगनू भी कभी हारा नहीं करते..