अम्ल वर्षा के कारण, प्रभाव तथा इस के निवारण

By Arun Kumar

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अम्ल वर्षा के कारण, प्रभाव तथा इस के निवारण – Causes, effects and prevention of acid rain

अम्लीय वर्षा – Acid Rain

जिस वर्षा के साथ अम्लों (Acids) की कुछ मात्रा भी पृथ्वी पर पहुँचती है, वह अम्लीय वर्षा कहलाती है। वायु प्रदूषण के कारण अम्लीय वर्षा पैदा होती है और औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप वायु प्रदूषण होता है।

उद्योग से निकलने वाली गैसें- मुख्यतः कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड जब वायुमण्डल में जाती हैं तो जलवाष्प से मिलकर क्रमशः कार्बोनिक अम्ल (Carbonic Acid), सल्फ्यूरिक अम्ल (Sulphuric Acid) और नाइट्रक अम्ल (Nitric Acid) बनाती हैं। वर्षा होने पर ये अम्ल पृथ्वी पर आ जाते हैं, यही अम्लीय वर्षा है। अम्लीय वर्षा शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग रसायनविज्ञानी रॉबर्ट ऐंगस स्मिथ (Robert Angus Smith) मानचेस्टर (इंग्लैण्ड) ने 1872 में किया था।

उन्होंने अनुभव किया कि उनके घर के आस-पास बरसने वाली वर्षा की जल की बूँदें अम्लीय प्रकृति की थीं अर्थात् वर्षा के पानी में अम्ल की अधिक मात्रा उपस्थित थी, इसलिए इसे अम्लीय वर्षा कहा था। वर्तमान में अम्लीय वर्षा विश्व की पर्यावरणीय समस्या बनी हुई है और अमेरिका, इंग्लैण्ड, जर्मनी, कनाडा तथा नार्वे में खतरनाक मोड़ पर पहुँच गई है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। मुम्बई में अम्ल वर्षा का स्तर सबसे अधिक रहा है।

जबकि दिल्ली, नागपुर, कोलकाता, पूना, कानपुर आदि शहर भी प्रभावित रहे हैं। इसका हानिकारक प्रभाव पौधों पर, जल जीवों और ढाँचागत निर्माण (Infrastructure) पर पड़ता है।

अम्लीय वर्षा के कारण -Causes of Acid Rain

अम्लीय वर्षा के कारणों को हम निम्नलिखित रूप में समझ सकते हैं-

1. अम्ल उत्पादक गैसों की अधिकता (Acid Producing Gases)- अम्लीय वर्षा का मुख्य कारण अम्ल उत्पन्न करने वाली गैसें हैं। वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂). नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) और सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) की अधिकता होने पर ये ऑक्साइड जलवाष्प के साथ मिलकर कार्बोनिक अम्ल, नाइट्रिक अम्ल और सल्फ्यूरिक अम्ल बनाते हैं और जब वर्षा होती है तब ये अम्ल द्रव रूप में पृथ्वी पर आते हैं अन्यथा कोहरे या बादलों के साथ वायुमण्डल में रहते हैं। सामान्यतया अम्लीय वर्षा में कार्बनिक अम्ल की मात्रा 10%, नाइट्रिक अम्ल की मात्रा 30% और सल्फ्यूरिक अम्ल की मात्रा 60% होती है।

2. औद्योगीकरण एवं जीवाश्म ईंधन (Industrialization and Fossil Fuel)- अम्लीय वर्षा का प्रमुख स्स्रोत औद्योगीकरण है। मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति एवं अन्य सुविधाओं को दृष्टिगत रखते हुए विभिन्न उद्योगों, फैक्ट्रियों की स्थापना की परन्तु इन सब उद्योगों में जीवाश्म ईंधन कोयला, तेल, पेट्रोल आदि के जलाने के कारण इनसे अम्ल पैदा करने वाली गैसें निष्कासित होती हैं। परिणामस्वरूप वायुमण्डल में अम्ल की मात्रा बढ़ती है और अम्लीय वर्षा के रूप में पृथ्वी पर पहुँचती है। उदाहरण के लिए, विद्युत उत्पादन के लिए जो जीवाश्म ईंधन जलाया जाता है उससे कुल सल्फर डाइऑक्साइड का लगभग 60 से 70 प्रतिशत तक वायुमण्डल में पहुँचता है और फिर जलवाष्प से मिलकर अम्लीय वर्षा के रूप में पृथ्वी पर लौटता है।

3. स्वचालित वाहनों का धुआँ (Exhaust of Automobiles) मोटर वाहन कार, ट्रक, बसें आदि विविध वाहनों में डीजल, पेट्रोल, ऑयल आदि विविध ईंधनों का प्रयोग किया जाता है। ये ईंधन कार्बन डाइऑक्साइड गैस पैदा करते हैं जो वायुमण्डल में जाकर जलवाष्प से मिलती है और कार्बनिक अम्ल बनाती है, जिसके कारण वर्षा के जल को प्रकृति अम्लीय हो जाती है। सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड जलवाष्प और वर्षा में घुलकर इसकी अम्लीयता को और अधिक बढ़ा देते हैं।

4. रासायनिक प्रक्रियाएँ (Chemical Processes) कैमिकल प्रक्रिया तब प्रारम्भ होती है जब सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड वायु में विसर्जित होती हैं अर्थात् जीवाश्म ईंधनों के जलने से सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रिक ऑक्साइड पैदा होती हैं और ये फिर जलवाष्प से मिलकर सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड में बदल जाती हैं। इस प्रकार रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा अम्ल (Acid) बनता है और वर्षा के द्वारा पृथ्वी पर अम्ल वर्षा के रूप में आ जाता है।

5. प्राकृतिक कारण (Natural Causes) अम्लीय वर्षा के कारणों में प्राकृतिक कारण भी सम्मिलित हैं। उदाहरण के लिए, जंगलों की आग, ज्वालामुखी विस्फोट, बैक्टीरियल डिकम्पोजीशन (Bacterial Decomposition), लाइटनिंग (Lightening) के कारण कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड आदि गैसों में वृद्धि होती है जो वायुमण्डल में जाकर जलवाष्प से मिलकर अम्लों का निर्माण करती है। ये ही अम्ल वर्षा के रूप में पृथ्वी पर गिरते हैं और अम्लीय वर्षा का कारण बनते हैं।

 

अतः स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि अम्लीय वर्षा के मुख्य प्रदूषक सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड हैं जो वायुमण्डल में जलवाष्प से मिलकर सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड पैदा करते हैं और इसी प्रकार जब जीवाश्म ईंधन- कोयला, डीजल, पेट्रोल आदि जलाए जाते हैं तो इनसे निकलने वाली ये ही गैसें वायुमण्डल में मिलकर अम्लीयता को और अधिक बढ़ा देती हैं। अतः चाहे विद्युत उत्पादन हो, ऑटोमोबाइल हो अथवा मोटर वाहन या प्राकृतिक कारण आदि के फलस्वरूप सल्फर आदि ज गैरों वायुमण्डल में जलवाष्प से मिलकर अम्ल (Acid) पैदा करती हैं और यह अम्ल वर्षा साथ मिलकर पृथ्वी पर आता है तब यह अम्लीय वर्षा कहलाती है। यह अम्लीय वर्षा दो रूपों में होती है-प्रथम-शुष्क (Dry) अम्लीय वर्षा और द्वितीय-नम (Wet) अम्लीय वर्षा।

प्रथम-शुष्क (Dry) अम्लीय वर्षा में सल्फेट और नाइट्रेट जब धूल के कणों पर जम जाते हैं तब यह शुष्क अम्लीय वर्षा कहलाती है और द्वितीय-नम (Wet) अम्लीय वर्षा में सल्फ्यूरिक अम्ल, नाइट्रिक अम्ल और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जब वर्षा के पानी में मिलकर उसे और अधिक अम्लीय बनाते हैं तब यह नम अम्लीय वषां होती है। अम्लीय वर्षा का कोई भी प्रकार हो, वह जीव, वनस्पति आदि सभी पर हानिकारक प्रभाव छोड़ती है।

FAQ

Q. अम्ल वर्षा क्या है in Hindi?

Answers- किसी भी प्रकार की वर्षा जिसमें एसिड की असामान्य उपस्थिति होती है, उसे एसिड रेन कहते हैं।

Q.अम्ल वर्षा का सूत्र क्या होता है?

Answer – सल्फर डाइऑक्साइड ( SO2 ) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO x ; NO और NO 2 का संयोजन)

निष्कर्ष

भास्कर जोश में आप का स्वागत है।  इस पोस्ट के माध्यम से अम्ल वर्षा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है अगर यह पोस्ट आपको अच्छा लगे तो अधिक से अधिक शेयर करें

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