बहराइच: महराजगंज में हुई हिंसा कोई अचानक नहीं भड़की थी। इसके लिए पहले से ही तैयारी की गई थी। सुनियोजित तरीके से लोगों को पहले से धारदार हथियार व लाठी-डंडों के साथ बुलाया गया था। जैसे ही विसर्जन जुलूस अब्दुल के घर के पास पहुंचा तो तय साजिश के तहत श्रद्धालुओं पर पथराव किया गया, जिसके बाद ऐसे हालात पैदा किए गए कि पूरा इलाका हिंसा की आग में झुलस गया। यह कहना है लखनऊ स्थित एक अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती हिंसा में घायल युवक सुधाकर तिवारी का।
लाठी-डंडे व धारदार हथियार
अस्पताल में इलाज कराने वाले महसी इलाके के सुधाकर का एक वीडियो एक्स पर प्रसारित हो रहा है, जिसमें वह बता रहा है कि रविवार को जब मूर्ति विसर्जन जुलूस निकल रहा था, तब वह सड़क के किनारे खड़ा था। एक गली से कुछ लोग हाथ में लाठी-डंडे व धारदार हथियार लेकर वहां पहुंचे और उस पर पीछे से हमला कर घायल कर दिया।
डीजे बंद कराने
जबरन लोग डीजे बंद कराने लगे। इससे जुलूस में शामिल लोगों में आक्रोश भड़क गया।आरोप है कि इस दौरान 22 वर्षीय रामगोपाल मिश्र गुस्से में अब्दुल की छत पर चढ़ गया और वहां लगे हरे झंडे को निकालकर भगवाध्वज फहराने लगा। इस बीच आरोपित उसे घर में घसीट ले गए और उसके साथ बर्बरता कर गोली मार दी। पूरी घटना पर गौर करें तो एक बात साफ है कि हिंसा भड़काने की साजिश पहले ही तैयार की गई थी, लेकिन खुफिया तंत्र इससे पूरी तरह बेखबर रहा, जिसका नतीजा रहा कि रामगोपाल की जान चली गई।