कानपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरुवार को लाल इमली को फिर से शुरू करने की बात कहते ही लोगों में उत्साह भर गया है। सांसद रमेश अवस्थी के मुताबिक शहर के बीच में अब दोबारा बड़े उद्योग तो नहीं चल सकते लेकिन लाल इमली के काम में ऊनी कपड़ों की सिलाई से प्रदूषण नहीं होता, इसलिए उससे ही काम शुरू कराया जा सकता है।
उनके मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी उन्होंने बात की थी जिसकी वजह से उन्होंने घोषणा की। उनके मुताबिक केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह अगले माह कानपुर आएंगे।
उन्होंने मंत्रालय के अधिकारियों को मिल चालू करने के विकल्प की संभावना तलाशने को कहा है। लाल इमली (red tamarind) के कर्मचारियों का जो बकाया है, वह भी दिया जाएगा। पुरानी मशीनें काम नहीं आएंगी, इसलिए उन्हें बदलना होगा।
1876 में शुरू हुई थी लालइमली
लालइमली की शुरुआत 1876 में हुई थी। इसमें बनने वाले ऊनी वस्त्र दुनिया के तमाम देशों में जाते थे। 1950 के आसपास इसमें 10 हजार कर्मचारी काम करते थे। मिल 24 घंटे चलती थी। यहां आस्ट्रेलिया की मोरिनो भेड़ के बालों से ऊन बनाया जाता था। 1990 के बाद जब स्थानीय मिलें आधुनिकीकरण की दौड़ में पीछे होने लगीं तो बाकी कपड़ा मिलों की तरह इसकी भी स्थिति खराब होने लगी। इसे धीरे- धीरे चलाया जाता रहा। 2011 में इसकी हालत सुधारने के लिए 338 करोड़ रुपये का बजट दिया गया लेकिन हालात न सुधरे तो इस बंद करने का प्रस्ताव कर दिया गया। इस समय 30 माह का वेतन बकाया है। पिछले वर्ष ही बकाए के 100 करोड़ रुपये मिले थे।
महाना को दिया विकास का श्रेय
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा अध्यक्षसतीश महाना ने 2017 में प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री के तौर पर काम करते हुए कानपुर के विकास की रूपरेखा तैयार की। उन्होंने कानपुर को डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग नोड में शामिल कराया। उस समय 20 हजार करोड़ औद्योगिकी निवेश का लक्ष्य था लेकिन उनके प्रयासों से इन्वेस्टर्स समिट में 40 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले।