राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2005 की प्रमुख समस्याएँ बताइए..

By Arun Kumar

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राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 की प्रमुख समस्याएँ (Main Problems of National Curriculum, 2005)

राष्टीय पाठ्यचर्या 2005 की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं-

(1) भाषा की समस्या (Problem of Language)- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 के समय भाषा सम्बन्धी समस्या उत्पन्न हो गयी थी कि शिक्षण के माध्यम के रूप में कौन-सी भाषा रखी जाए। भारतीय समाज में कई भाषाएँ प्रचलित हैं। कई भाषाएँ होने के कारण भाषा विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

प्रत्येक राज्य अपनो भाषा को महत्व देना चाहता है और दूसरी भाषा को पाठ्यक्रम तथा शिक्षण में स्थान देने पर अपनी भाषा की उपेक्षा का दोषारोपण शुरू कर देता है। भाषा विवाद की जो स्थिति पहले थी, वही आज भी है। दक्षिण और उत्तर में सदैव भाषा विवाद बना रहा है। भारत में कुछ कदमों की दूरी पर ही भाषा बदल जाती है। इससे भाषा सम्बन्धी समस्या पाठ्यक्रम में सदैव रही है।

(2) समाज की उच्च आकांक्षाएँ (High Ambitions of Society)- शिक्षा सेसमाज की उच्च आकांक्षाएँ भी पाठ्यक्रम की एक प्रमुख समस्या है। प्रत्येक अभिभावक अपने बच्चों को उच्च पद पर आसीन देखना चाहता है। वे चाहते हैं कि पाठ्यचर्या ऐसी हो जिससे बालक शिक्षा ग्रहण करने के तत्काल बाद उच्च पद पर आसीन हो जाए। यदि बालक उच्च पद प्राप्त कर लेता है तो शिक्षा और उस पर लगा धन सार्थक है अन्यथा शिक्षा व्यर्थ और निरर्थक है। सभी अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, आई. पी. एस., आई. एस. अधिकारी बनाना चाहते हैं। यह सोच सम्पूर्ण समाज की है जो राष्ट्रीय पाठ्यचर्या संरचना 2005 की प्रमुख समस्या रही है।

(3) शिक्षक सम्बन्धी समस्याएँ– राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2005 के समक्ष एक समस्या शिक्षक सम्बन्धी भी है। शिक्षक संख्या के आधार पर ही पाठ्यचर्या का निर्माण करना चाहिए। पाठ्यचर्या की अपेक्षा जब शिक्षक संख्या कम होती है तो पाठ्यचर्या का ठीक प्रकार से क्रियान्वयन नहीं हो पाता है। पाठ्यचर्या के कई बिन्दुओं पर शिक्षक संख्या सम्बन्धी समस्या उत्पन्न हो जाती है।

उदाहरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या (National Curriculum) 2005 में यह सुझाव दिया गया है कि प्रारम्भ के दो वर्षों में छात्रों को मातृभाषा की शिक्षा देनी चाहिए। परन्तु विभिन्न भाषाओं को जानने वाले शिक्षकों की उपलब्धता न होने के कारण यथार्थ में ऐसा कर पाना सम्भव नहीं है क्योंकि एक ही विद्यालय में विभिन्न मातृभाषा के छात्र पाए जा सकते हैं। दूसरी समस्या यह है कि विद्यालयों की संख्या अधिक है और शिक्षकों की संख्या विद्यालयों की तुलना में नगण्य है।

(4) वित्त सम्बन्धी समस्या (Finance Related Problem) – विद्यालयों को वित्तीय व्यवस्था ठीक न होने के कारण भी पाठ्यचर्या का पूर्णरूपेण विकास नहीं हो पाता है। पाठ्यचर्या की रूपरेखा को तैयार करते समय वित्त की उपलब्धता को भी ध्यान में रखना पड़ता है। परिणामस्वरूप पाठ्यचर्या में उन विषयों का समावेश नहीं हो पाता है जिनकी आवश्यकता अनुभव की जाती है। उदाहरण के लिए वर्तमान समय में प्राथमिक स्तर से ही कम्प्यूटर शिक्षा प्रदान की जाती है परन्तु विद्यालयों में कम्प्यूटरों की पर्याप्त व्यवस्था न होने के, कारण कम्प्यूटर शिक्षा उचित प्रकार से देना सम्भव नहीं हो पा रहा है। इसलिए धनाभाव के कारण भी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के कुछ आवश्यक सुझावों की उपेक्षा करनी पड़ती है।

(5) धर्म सम्बन्धी समस्या (Religion Related Problem)– राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 में धर्मनिरपेक्ष शिक्षा की व्यवस्था कर धर्म सम्बन्धी समस्या का समाधान तो कर दिया गया है परन्तु पाठ्यचर्या में इसका स्वरूप क्या हो, यह समस्या बनी हुई है। धर्म-विहीनता चारित्रिक और नैतिक रूप से सशक्त समाज कैसे उत्पन्न कर सकती है और पाठ्यक्रम में किस प्रकार धर्मनिरपेक्षता को प्रस्तुत करना है, यह विवाद का विषय बन गया है। पाठ्यचर्या निर्माण की रूपरेखा में धर्म सम्बन्धी समस्याएँ वर्तमान समय में भी बनी हुई हैं।

(6) राजनैतिक समस्याएँ (Political Problems) – लोकतान्त्रिक समाज में सरकारें बदलती रहती हैं। इससे उनकी शैक्षिक योजनाएँ भी बदल जाती हैं। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का स्वरूप निर्मित करने में राजनैतिक संगठनों तथा धार्मिक संगठनों की प्रतिक्रिया का भी ध्यान रखना पड़ता है जिससे पाठ्यक्रम का पारदर्शी स्वरूप विकसित नहीं हो पाता है। इस प्रकारपाठ्यक्रम निर्माण में राजनीति का भी हस्तक्षेप होता है।(7) परम्पराओं की समस्या (Problem of Traditions) समाज में व्याप्त सामाजिक, सांस्कृतिक परम्पराएँ पाठ्यक्रम निर्माण में एक बाधक तत्व है।

उदाहरण के लिए विभिन्न यौनिक रोगों से बचने के लिए यौन शिक्षा आज के समय की आवश्यकता मानी जा रही है जो जानलेवा एड्स रोग से बचाव के बारे में जागरूकता उत्पन्न कर सकती है परन्तु भारतीय परम्पराओं के दबाव के कारण राष्ट्रीय पाठ्यक्रम 2005 में यौन शिक्षा को सम्मिलित नहीं किया गया है। सामाजिक परम्पराएँ तथा रूढ़िवादिता पाठ्यक्रम निर्माण में बहुत बड़ी बाधा है।

(8) विचारों की समस्या (Problem of Thoughts)– पाठ्यक्रम निर्माण में विचारों की भी समस्या उत्पन्न हो जाती है। उदाहरण के लिए यदि पाठ्यक्रम में आदर्शवादिता को स्थान दिया जाए तो दूसरा पक्ष यह तर्क देता है कि आदर्शों से पेट नहीं भरता है। जीवन जीने के लिए यथार्थवादी होना आवश्यक है और यदि यथार्थवाद को महत्व दिया जाए तो हमारा नैतिक और चारित्रिक विकास नहीं हो सकता है। यथार्थ के धरातल पर खड़ा व्यक्ति पतन की ओर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इस प्रकार विचारों में विविधता ‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005’ के निर्माण में प्रमुख समस्या रही है।

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 की समस्याओं का समाधान (Solutions for Problems Related to National Curriculum 2005)

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या कार्यक्रम 1988 से निरन्तर प्रारम्भ है जिसमें पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2000 तथा राष्ट्रीय संरचना सन् 2005 प्रस्तुत किये जा रहे हैं।

पाठ्यचर्या की रूपरेखा सम्बन्धी समस्याओं का समाधान निम्नलिखित रूप में किया जा सकता है-

(1) भारतीय समाज में विकसित दृष्टिकोण का समावेश करते हुए आधुनिक विचार- धाराओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न करना चाहिए।

(2) समाज के व्यक्तियों के प्रति निष्ठा की भावना जाग्रत की जानी चाहिए। किसी भी पद तथा गौरव की इच्छा को सामान्य रूप से व्यक्त करने की योग्यता विकसित करनी चाहिए।

(3) सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में अधिक मात्रा में धन उपलब्ध कराना चाहिए क्योंकि शिक्षा द्वारा ही राष्ट्र तथा समाज का उत्थान होता है।

(4) भाषा सम्बन्धी समस्याओं के सभाधान हेतु किसी एक सूत्रीय व्यवस्था को निरूपित किया जाना चाहिए जिससे किसी को कोई आपत्ति न हो।

(5) शिक्षकों में आत्मविश्वास की भावना का विकास करते हुए कर्तव्य पालन के दृष्टिकोण को विकसित करना चाहिए।

(6) पाठ्यचर्या निर्माताओं को उपलब्ध संसाधनों में से ही श्रेष्ठतम पाठ्यचर्या कास्वरूप निर्मित करना चाहिए। इसके लिए पाठ्यचर्या निर्माण समिति में योग्य एवं अनुभवीव्यक्ति रखने चाहिए।

(7) शिक्षा को राजनैतिक दोषों से दूर रखने के लिए राजनीतिज्ञों में जागरूकता उत्पन्न करनी चाहिए जिससे वे शिक्षा के विकास पर ध्यान दे सकें।

(8) धार्मिक संकीर्णता से ऊपर उठकर मानवीय मूल्यों एवं मानव कल्याण की भावना का विकास जनसामान्य में करना चाहिए।अतः उपर्युक्त समस्याओं के समाधान से पाठ्यचर्या की रूपरेखा को नवीन आधार प्राप्त होगा और पाठ्यचर्या के क्रियावयन में किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं होगी।

निष्कर्ष

भास्कर जोश में आप का स्वागत है। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको NCF 2005 का पूरा नाम क्या है? राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 से सम्बन्धित पूरी जानकारी दी गई है

FAQ

Q. राष्ट्रीय पाठ्यक्रम से आप क्या समझते हैं?

A. राष्ट्रीय पाठ्यक्रम स्कूलों में अध्ययन का एक सामान्य कार्यक्रम है जिसे शिक्षा में विषय-वस्तु और मानकों की राष्ट्रव्यापी एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

Q. NCF 2005 का पूरा नाम क्या है?

A. एनसीएफ का पूरा नाम नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क/नेशनल कल्चर फंड है।

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