मन्द बुद्धि बालक किसी कहते हैं ? अर्थ प्रकार तथा इनके लक्षण एवं मन्दिता के कारण….

By Arun Kumar

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मन्द बुद्धि बालक का अर्थ(Meaning of Mentally Retarded Children)

मानसिक दृष्टि से पिछड़े बालकों को मन्द बुद्धि बालक कहते हैं। ये बालक बौद्धिक दृष्टि से प्रतिभाशाली बालकों के ठीक विपरीत होते हैं। स्किनर के अनुसार ‘मानसिक मन्दता’ वाले बालकों के लिए अनेक पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

जैसे- मन्द बुद्धि (Mentally Retarded), अल्प बुद्धि (Mentally Deficient), विकल बुद्धि (Mentally Handicapped), धीमी गति से सीखने वाले (Slow Learner), पिछड़े हुए (Backward) और मूढ़ (Dull) आदि।

मन्द बुद्धि बालकों की परिभाषा (Definition of Mentally Retarded Children)

मन्द बुद्धि बालकों से तात्पर्य उन बालकों से है जिनका बौद्धिक स्तर सामान्य बालकों से कम होता है। इनके सम्बन्ध में कुछ परिभाषाएँ निम्न प्रकार हैं-

हैबर के अनुसार, “मानसिक मन्दता से तात्पर्य उस अवसामान्य बौद्धिक क्रियाशीलता से है जो विकासावस्था में उत्पन्न होती है और व्यवहार के अनुकूलन की दुर्बलता से सम्बद्ध होती है।”

क्रो और क्रो के अनुसार, “मन्द बुद्धि बालक मूढ़ (dull) होता है। । अतः उनमें सोचने- समझने और विचार करने की शक्ति कम होती होती है। जिन बालकों की बुद्धिलब्धि 70 से कम होती है उन्हें मन्द बुद्धि बालक कहते हैं।

“ब्रिटिश मानसिक मन्दता एक्ट के अनुसार, “मानसिक मन्दता 18 वर्ष से पहले आन्तरिक कारणों की वजह से अथवा बीमारी या चोट के कारण पैदा हुई, एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति के मस्तिष्क का विकास या तो रुक जाता है या उसमें पूर्णता नहीं आ पाती।”

मन्द बुद्धि बालकों के लक्षण (Symptoms of Mentally Retarded Children)

मन्द बुद्धि बालकों में निम्नलिखित लक्षण पाये जाते हैं-

(1) मन्द बुद्धि बालकों की सीखने की क्षमता कम होती है तथा उनकी सीखने की गति भी धीमी होती है।

(2) मन्द बुद्धि बालक प्रायः प्रत्येक कार्य को देर से करना सीखते हैं।

(3) मन्द बुद्धि बालकों की बुद्धिलब्धि 70 से कम होती है तथा इनमें संवेगात्मक अस्थिरता पाई जाती है।

(4) इनमें आत्म विश्वास की कमी होती है तथा ये बालक कक्षा में शान्त तथा निष्क्रिय रहते हैं।

(5) इन बालकों में शारीरिक एवं वाणी सम्बन्धी दोष पाये जाते हैं।

(6) इन बालकों का पारिवारिक, विद्यालयी तथा सामाजिक समायोजन सन्तोषजनक नहीं होता है।

(7) ये बालक अपनी सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक चिन्तित रहतेहैं।

(8) मन्द बुद्धि बालक मनोवैज्ञानिक रूप से अपरिपक्व होते हैं तथा इनमें एकाग्रता व सृजनात्मकता का अभाव होता है।

(9) बौद्धिक अक्षमताओं के कारण मन्द बुद्धि बालक उच्च कौशलात्मक कार्यों को करने में असमर्थ होते हैं।

स्किनर का कथन है– “ये बालक सीखी गई बात को नई परिस्थितियों में प्रयोग नहीं कर पाते, विशिष्ट प्रतिक्रियाएँ नहीं करते तथा कार्य-कारण के सम्बन्ध में ऊटपटाँग धारणा रखते हैं।”

मन्द बुद्धि बालकों के प्रकार(Types of Mentally Retarded Children)

मानसिक मन्दता को ‘अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ मेन्टल डिफिसिएन्सी’ ने चार स्तरों में निर्धारित किया है-

(1) हल्की मानसिक मन्दता (Mild Mental Retardation)-52-68 बुद्धिलब्धि वाले बालकों को हल्के स्तर पर ग्रसित माना गया है। इस वर्ग के बालकों में सामान्य बालकों के समान कल्पनाशीलता, रचनात्मकता एवं निर्णय की क्षमता नहीं होती।

(2) मध्यम मानसिक मन्दता (Moderate Mental Retardation)- इन बालकों की बुद्धिलब्धि (IQ) 36-51 के मध्य पायी जाती है। इनमें सीखने की गति एवं सीमा सीमित होती है किन्तु माता-पिता की देख-रेख और उपयुक्त निर्देशन द्वारा इन्हें जीवनोपयोगी कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है।

(3) तीव्र मानसिक मन्दता (Severe Mental Retardation)- इनकी बुद्धिलब्धि 20-35 पाई जाती है। इनमें आत्मनिर्भरता विकसित नहीं हो पाती, इनमें अनेक शारीरिक दोष होते हैं।

(4) गम्भीर मानसिक मन्दता (Profound Mental Retardation) – इनकी IQ 20 से कम होती है। इनका समायोजन अति न्यून होता है। ये स्वयं कुछ भी करने में असमर्थ होते हैं।वर्तमान समय में शिक्षा की दृष्टि से मन्द बुद्धि बालकों को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-

(1) शिक्षा पाने योग्य (Educable)– इनकी बुद्धिलब्धि 50-70 के बीच होती है। इन्हें पढ़ना, लिखना तथा उत्पादन कार्य करना सिखाया जा सकता है।

(2) प्रशिक्षण योग्य (Trainable) – इनकी बुद्धिलब्धि 25-50 के बीच होती है। इन्हें प्रशिक्षित किया जाए तो ये अपने आवश्यक दैनिक कार्य स्वयं कर सकते हैं।

(3) पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर रहने वाले (Totally Dependent on Others)– इनकी बुद्धिलब्धि 25 से कम होती है। ये शिक्षण और प्रशिक्षण के योग्य नहीं होते। ये अपने दैनिक कार्यों के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहते हैं।

मन्द बुद्धिता के कारण(Causes of Mental Retardedness)

प्राणिशास्त्रियों तथा मनोवैज्ञानिकों ने मन्द बुद्धिता के दो कारण बताए हैं-

(1) वंशानुक्रमीय कारण– बालक का शारीरिक व मानसिक विकास माता-पिता से प्राप्त गुणसूत्रों (Genes) के आधार पर होता है। बुद्धि सम्बन्धी प्राप्त गुणसूत्रों के दोषपूर्ण होने से बालक का स्वस्थ मानसिक विकास नहीं हो पाता, अतः बालक मन्द बुद्धि रह जाता है।

(2) पर्यावरणीय कारण– पर्यावरण का प्रभाव गर्भावस्था से लेकर बाल्यकाल तक बालक के मानसिक विकास पर पड़ता है। यदि गर्भावस्था में बालक को अपने मस्तिष्क व बुद्धि के विकास के लिए आवश्यक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते तो वह जन्म से मन्द बुद्धि पैदा होता है।

मन्द बुद्धि बालकों की शिक्षा(Education of Mentally Retarded Children)

मन्द बुद्धि बालकों की शिक्षा की व्यवस्था निम्न प्रकार की जा सकती है-

(1) शैक्षिक उद्देश्यों का परिसीमन – मन्द बुद्धि बालकों की शिक्षा का उद्देश्य व्यक्तिगत आवश्यक योग्यताओं का विकास, सामाजिक कौशलों का विकास, समायोजन कीक्षमता का विकास तथा पढ़ना-लिखना एवं सरल गणित का ज्ञान आदि होना चाहिए।

(2) शिक्षण विधि-इनको पढ़ना– लिखना सिखाने में प्रत्यक्ष विधि, पुनरावृत्ति विधि तथा दृश्य-श्रव्य साधनों का विशेष प्रयोग करना चाहिए।

(3) पाठ्यचर्या– इन बालकों की पाठ्यचर्या सामान्य बालकों से नीचे स्तर की होनी चाहिए। इन्हें पढ़ना-लिखना, सामान्य गणित, सामाजिक विज्ञान, कला और हस्त कार्यों को स्थान देना चाहिए। साथ-ही-साथ इनके लिए व्यावसायिक शिक्षा तथा पाठ्य सहगामी क्रियाओं को भी स्थान देना चाहिए।

(4) कक्षा का सीमित आकार– मन्द बुद्धि बालकों की कक्षा में छात्रों की संख्या 15- 20 होनी चाहिए तभी इन पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान दिया जा सकेगा।

(5) भयमुक्त वातावरण– इन बालकों की शिक्षा को परीक्षा के भय से मुक्त रखा जाना चाहिए।

(6) अनुभवी शिक्षक– मन्दबुद्धि बालकों की शिक्षा के लिए शिक्षकों का अनुभवी योग्य व प्रशिक्षित होना चाहिए तथा शिक्षक को सहानुभूति व सहयोगपूर्ण व्यवहार कर इनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

(7) व्यावसायिक व विभिन्न कौशलों का प्रशिक्षण– मन्दबुद्धि बालकों को हस्तशिल्प सम्बन्धी कार्यों को करने का साधारण व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करके स्वावलम्बी बनाया जा सकता है।

(8) विशिष्ट कक्षाएँ- फ्रैंडसन का मानना है कि “मन्द बुद्धि बालक अपनी सीमित विशेषताओं के कारण सामान्य कक्षाओं में ज्ञान का अर्जन नहीं कर पाते हैं। ये कक्षाएँ उनमें सामाजिक असमायोजन का दोष उत्पन्न कर देती हैं। अतः उनको विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा विशिष्ट कक्षाओं में शिक्षा दी जानी चाहिए।

निष्कर्ष

भास्कर जोश में आपका स्वागत है, इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको मंद बुद्धि बालक के प्रकार, परिभाषा, आदि की जानकारी दी गई है।

FAQ

Q. मंदबुद्धि बालक कितने प्रकार के होते हैं?

A. मन्द – बुद्धि बालक की परिभाषा – “औसत से कम मानसिक योग्यता वाले बालक को मन्द-बुद्धि बालक कहते हैं

Q. मंदबुद्धि की क्या परिभाषा है?

A. किसी वास्तविक मानसिक विकलांगता वाले व्यक्ति के लिए या किसी ऐसे व्यक्ति के लिए एक अपमानजनक शब्द है जिसे बेवकूफ , समझने में धीमा या किसी तरह से अप्रभावी माना जाता है। विशेषण मंदबुद्धि का उपयोग उसी तरह से किया जाता है,

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