इस स बदलते विज्ञान के युग ने कई लोगों की जिंदगी बदल दी है। स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य तकनीकी गैजेट्स आज हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। जैसे ये तकनीक हमें लाभ पहुंचाती है, वैसे ही इसके कुछ नुकसान भी हैं।
इनका हमारे शरीर पर पड़ने वाला नकारात्मक प्रभाव तुरंत नजर नहीं आता लेकिन स्वास्थ्य पर इसका गहरा असर पड़ता है। अक्सर देखा गया है कि आजकल लोग टॉयलेट में अधिक समय बिताते हैं। इसका मुख्य कारण उनका फोन है। लोग फोन लेकर टॉयलेट जाते हैं और वीडियो देखने में इतने मग्न हो जाते हैं कि उन्हें पता ही नहीं चलता कि टॉयलेट में कितना समय बिताया। लेकिन इस आदत का स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
पाइल्स और रक्तसंचार की समस्या
टॉयलेट सीट पर ज्यादा समय बिताने से मलाशय और गुदा के आसपास रक्त वाहिनियों पर दबाव पड़ता है। लंबे समय तक इस दबाव के कारण रक्त वाहिनियां फूल जाती हैं, जिससे पाइल्स की समस्या हो सकती है।
पाचन समस्या और कैंसर
टॉयलेट में लंबे समय तक बैठे रहने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं, और इससे कैंसर का खतरा भी बढ़ता है।
पाचन समस्या और कैंसर
टॉयलेट में लंबे समय तक बैठे रहने से पाचन संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। लंबे समय तक ज़ोर लगाना या दबाव डालना गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों को बढ़ा सकता है। इसके कारण कब्ज, गुदा में दर्द, या रक्तस्राव जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, इस आदत से आंतों और मलाशय के कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है। यदि आपको टॉयलेट में अधिक समय लग रहा है, तो समय रहते सतर्क हो जाएं और डॉक्टर से परामर्श लें।
पेट साफ रखने के उपाय बन
- स्मार्टफोन का उपयोग टॉयलेट में न करें अगर आपको टॉयलेट में फोन इस्तेमाल करने की आदत है, तो इसे तुरंत छोड़ दें। इससे आप टॉयलेट में कम समय बिताएंगे, और आपकी आंतें बेहतर तरीके से साफ होंगी।
- फाइबर युक्त भोजन का सेवन करें अपनी पाचन प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए अपने आहार में फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें। ओट्स, बीन्स, फल, और सब्जियों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी है। हर दिन कम से कम 2.7 से 3.7 लीटर पानी पिएं।
भारतीय बाथरूम पद्धति का महत्त्व
आज के समय में भारतीय बाथरूम पद्धति (स्क्वाटिंग पोजीशन) धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है, और वेस्टर्न स्टाइल टॉयलेट का उपयोग बढ़ता जा रहा है। भारतीय पद्धति न केवल पाचन क्रिया में सहायक होती है, बल्कि यह मांसपेशियों पर कम दबाव डालती है और स्वास्थ्य के लिए बेहतर मानी जाती है।
ध्यान दें: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी उपाय को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें और उनके निर्देशों के अनुसार कार्य करें।