इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्या है? इस के महत्त्व, परिभाषा तथा प्रकार – Electronic Media or Non-Print Media
वर्तमान समय में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एक महत्वपूर्ण साधन है। इन साधनों द्वारा संचार क्रान्ति उत्पन्न कर दी गयी है। आज दुनिया की दूरी संकुचित हो गयी है। अमेरिका में होने वाली सूचना कुछ मिनटों में ही सम्पूर्ण भारत तथा दुनिया में पहुँच सकती है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अन्तर्गत टेलीविजन, रेडियो, फिल्म, वीडियो, फोटोग्राफी, ई-मेल, इण्टरनेट इत्यादि आते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रमुख साधन निम्न हैं-
1. टेलीविजन – वर्तमान समय में दूरदर्शन की पहुँच ग्रामीण अंचल तक मानी जाती है। दूरदर्शन में विज्ञापन के माध्यम से पर्यावरण जागरूकता से सम्बन्धित ज्ञान जनसामान्य को प्रदान किया जाता है। ग्रामीण अंचल के नागरिक भी टी.वी. द्वारा प्रत्येक सूचना को जान- समझ रहे हैं तथा उनका लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
2. रेडियो – रेडियो की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। रेडियो के माध्यम से अनेक काव्य, नाटकों तथा कृतियों के माध्यम से पर्यावरण के प्रति सचेत किया जाता है।
3. टेपरिकॉर्डर– इसमें आवश्यक सामग्री को रिकॉर्ड कर लिया जाता है। इसके उपरान्त सम्बन्धित व्यक्ति को सुनाया जाता है। यह सामग्री भी उपयुक्त रूप से विभिन्न स्रोतों से एकत्रित होती है तथा आवश्यकतानुसार प्रस्तुत की जाती है।
4. वीडियो टेप– यह एक दृश्य-श्रव्य साधन है। टेपरिकॉर्डर की तुलना इसके द्वारा प्रदत्त ज्ञान एवं सामग्री अधिक प्रभावी होती है। इसमें समस्या को नाटक व अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत किया जा सकता है।
5. न्यूज चैनल– वर्तमान युग में न्यूज चैनलों का अधिक प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। इसके द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु किन विधियों का प्रयोग किया जाए उनके विषय में बताया जाता है।
6. कम्प्यूटर (Computer)- सूचना एवं सम्प्रेषण के इस युग में सहायक सामग्री के रूप में कम्प्यूटर का प्रयोग सभी विषयों में किया जा रहा है। पर्यावरण अध्ययन में भी इसका प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह बालकों को अपने विषय में भूत, वर्तमान एवं भविष्य की जानकारी देता है एवं इसमें छात्र अपनी गति से सोखते हैं। छात्राओं की सीखने में रुचि बनी रहती है। अतः अधिगम के लिए छात्र तत्पर रहते हैं। इसकी सहायता से छात्राओं को प्रेरणा मिलती है। छात्र स्वानुशासित रहते हैं। कम्प्यूटर का शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है।
उपर्युक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि कम्प्यूटर की सहायता से छात्र पर्यावरण अध्ययन में दक्षता प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं एवं कम्प्यूटर उन्हें प्रत्येक क्षेत्र में सहायता प्रदान करता है।
शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर (Computer in the Field of Education)– शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर का महत्व निम्न कारणों से है-
- कम्प्यूटर के द्वारा शिक्षा क्षेत्र से सम्बन्धित तथ्यों, आँकड़ों व सूचनाओं की प्राप्ति हो जाती है।
- कम्प्यूटर सह-अनुदेशन द्वारा छात्रों को व्यक्तिगत अनुदेशन प्राप्त होता है। छात्र अपनी गति व क्षमता के अनुसार सीख सकते हैं।
- कम्प्यूटर द्वारा जटिल गणनाएँ काफी समय में की जा सकती हैं।
- इसके द्वारा तथ्यों को लम्बे समय तक संग्रहित करके रखा जा सकता है।
- छात्र किसी भी विषय-वस्तु को अपनी आवश्यकतानुसार पुनः दोहरा सकते हैं।
- कम्प्यूटर द्वारा किया गया मूल्यांकन निष्पक्ष होता है।
- उच्च शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में कम्प्यूटर अत्यन्त उपयोगी है।
- विद्यालयों में कम्प्यूटर द्वारा छात्रों को उपचारात्मक शिक्षण दिया जा सकता है।
- प्रकरण को छात्रों की आवश्यकता व क्षमता के अनुसार पढ़ाया जा सकता है।
- कम्प्यूटर द्वारा छात्रों के अभिलेख सुरक्षित रखे जा सकते हैं।
- कम्प्यूटर में शिक्षक अपनी पढ़ायी जाने वाली सामग्री को संग्रहित कर भविष्य में आवश्यकतानुसार प्रयोग कर समय व श्रम की बचत कर सकते हैं।
- कम्प्यूटर छात्रों को विभिन्न प्रयोग के अवसर देता है।
7. एल.सी.डी. प्रोजेक्टर (LCD Projectors)-
यह दृश्य श्रव्य साधन है, जिसके द्वारा बालकों के ज्ञान को स्थायी किया जा सकता है। इसमें जो भो विषय-वस्तु सभी प्रकार के जेवरणों के साथ दिखाई जाती है, उससे बालक प्रत्येक बिन्दु को समझ सकें एवं उसके द्वारा प्राप्त ज्ञान को स्थायी बना सकें। यह छात्रों में विषय के प्रति अभिरुचि बढ़ाता है और सीखने के लिए अभिप्रेरित करता है ताकि वह और अधिक ज्ञान प्राप्त कर सके। यह छात्रों की स्मरण शक्ति के विकास में भी सहायक है।
एल.सी.डी. प्रोजेक्टर की उपयोगिता (Uses of LCD Projector) – एल.सी.डी. प्रोजेक्टर की उपयोगिता को इस प्रकार समझ सकते हैं-
- इस सहायक-सामग्री के प्रयोग करने से विद्यार्थियों में बोधगम्यता एवं ग्राह्य शक्ति का विकास होता है।
- इसकी सहायता से एक बड़े समूह को एक साथ शिक्षण प्रदान किया जा सकता है।
- इसके प्रयोग से विद्यार्थियों में पाठ्यवस्तु के प्रति रुचि उत्पन्न होती है।
- इसमें सूक्ष्म वस्तुओं की स्लाइड बनाकर उन्हें विस्तारपूर्वक देखा जा सकता है।
- आवश्यकतानुसार फिल्म प्रोजेक्टर से चित्र को आगे-पीछे कर सकते हैं।
- इस उपकरण के द्वारा प्रस्तुतीकरण की गति को बढ़ाया या घटाया जा सकता है।
- इसके माध्यम से वास्तविक घटना, चित्र, बड़ी-बड़ी मशीनों आदि को कक्षा में दिखाया जा सकता है।
- इसके साथ रिकॉर्डेड सामग्री का प्रयोग करके इसको दूरस्थ शिक्षा एवं व्यक्तिगत अधिगम के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
- इसका प्रयोग एवं रख-रखाव सरल है।
8. चलचित्र (Movie) – आधुनिक युग में पाश्चात्य देशों में सिनेमा जितना मनोरंजन हेतु अनिवार्य समझा जाता है, उतना ही शिक्षण के लिए भी आवश्यक माना जाता है। इसीलिए विभिन्न विषयों के शिक्षण जैसे- पर्यावरण विज्ञान, भूगोल, इतिहास, भाषा आदि में इसका प्रचलन बढ़ता जा रहा है। भारत जैसे निर्धन देश में साधारण स्कूल में चलचित्र प्रदर्शनी सम्भव नहीं हैं। इसके लिए एक तो अन्धेरे कमरे की आवश्यकता होती है और दूसरे 16 से 32 मिलीमीटर तक प्रक्षेपक यन्त्र होना चाहिए परन्तु यह कुछ ही भाग्यशाली स्कूलों में उपलब्ध है। जिन स्कूलों के पास इसके लिए साधन एवं सुविधा दोनों हैं, उन स्कूलों में शिक्षण हेतु इसका पर्याप्त प्रयोग अवश्य होना चाहिए। चलचित्र शिक्षा का एक अमूल्य साधन है। इसे सरकार ने भी स्वीकार कर लिया है। देश के अज्ञान को दूर करके जागृति के मार्ग लाने का यह अद्वितीय साधन है। इसीलिए राज्य के सूचना एवं प्रसारण विभाग तथा विभाग इस ओर विशेष रुचि ले रहे हैं।
चलचित्र का शैक्षिक लाभ (Educational Benefits of Moving Pictures)-
इसके निम्नलिखित लाभ हैं-
- अभ्यास के द्वारा फिल्मों से सीखने की योग्यता से ज्ञान में वृद्धि होती है।
- चलचित्र एक साधन है जिसके द्वारा कार्य कौशल विकसित होते हैं।
- इससे समस्या समाधान की योग्यता विकसित होती है।
- फिल्मों को बार-बार देखने से सीखने की क्रिया में वृद्धि होती है।
- चलचित्रों की सहायता से पाठ्यवस्तु को शुद्ध रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाता है जिसमें दृश्य-श्रव्य दोनों ज्ञानेन्द्रियाँ क्रियाशील रहती हैं। इसके उपयोग से छात्रों में पाठ्यवस्तु के प्रति रुचि उत्पन्न होती है। छात्र एकाग्र होकर देखते तथा सुनते हैं।
- इस सहायक प्रणाली को प्रयुक्त करने से छात्रों में बोधगम्यता एवं धारण शक्ति (Retentiveness) का विकास होता है।
- छात्रों की एकाग्रता, घटनाओं एवं वस्तुओं के निरीक्षण या अवलोकन में गहनता आती है।
- चलचित्र द्वारा जटिल पाठ्यवस्तु को पढ़ाने या प्रस्तुत करने से छात्रों को सीखने में सुगमता या सरलता होती है और छात्र उसका परिपाक (Assimilation) भी कर लेते हैं।
- इस उपकरण के द्वारा प्रस्तुतीकरण की गति को घटाया और बढ़ाया भी जा सकता है साथ ही ध्वनि में उतार-चढ़ाव भी लाया जा सकता है।
- इस उपकरण के द्वारा एक बड़े समूह के छात्रों को एक साथ शिक्षण दिया जा सकता है।
FAQ
Q. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आप क्या समझते हैं?
A. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (Electronic Media) वह मीडिया है जिसे कोई भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर दर्शकों के देखने के लिए साझा कर सकता है।
Q. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के 5 प्रकार क्या हैं?
A. रेडियो, सिनेमा, इंटरनेट, टेलीविजन और मल्टीमीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के घटक हैं।
Q. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और डिजिटल मीडिया में क्या अंतर है?
A. मेरी अपनी समझ से, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संचार तब होता है जब कोई संदेश या सूचना इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जैसे टीवी, रेडियो, फैक्स और इसी तरह के माध्यम से भेजी जाती है। डिजिटल मीडिया संचार, संचार का 21वीं सदी का रूप है, जिसमें सूचना इंटरनेट के माध्यम से प्रसारित की जाती है।
निष्कर्ष
भास्कर जोश में आपका स्वागत है। प्रिया पाठक इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रकार इलेक्ट्रॉनिक महत्व, परिभाषा, संचार का माध्यम तथा इससे सबंधित सभी जानकारी दी गई है